माँ चंद्रघंटा की आरती | ma chandraghanta ki aarti

माँ चंद्रघंटा, नवरात्रि के तीसरे दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। देवी दुर्गा के नौ रूपों में तीसरा स्वरूप, चंद्रघंटा, अपने भक्तों को शांति और साहस प्रदान करती हैं। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माँ चंद्रघंटा का यह रूप न केवल सौम्यता और करुणा का प्रतीक है, बल्कि यह शक्ति और ऊर्जा का भी स्रोत है। यह देवी अपने भक्तों के कष्ट दूर करने वाली, हर संकट में सहायक, और आशीर्वाद देने वाली हैं।

माँ चंद्रघंटा की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम,
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती,
चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली,
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो,
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली,
हर संकट में बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये,
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं,
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता,
पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा,
कर्नाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी,
भक्त की रक्षा करो भवानी।

माता श्लोक

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

हे देवी! आप सभी प्राणियों में चंद्रघंटा रूप में विराजमान हैं।
मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूं।

माँ चंद्रघंटा की कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब महिषासुर का अत्याचार बढ़ा और देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी, तब देवी पार्वती ने चंद्रघंटा रूप धारण कर असुरों का विनाश किया। उनका यह रूप उनके साहस और वीरता को दर्शाता है, जो बुराई का नाश करने के लिए प्रकट हुआ। माँ चंद्रघंटा का वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है, और उनके हाथों में अस्त्र-शस्त्र होते हैं, जिससे वे अपने भक्तों की हर बुराई और संकट से रक्षा करती हैं।

माँ चंद्रघंटा की आरती का महत्व

आरती हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे देवी-देवताओं की पूजा में गाया जाता है। माँ चंद्रघंटा की आरती उनकी महिमा का वर्णन करती है और उनके द्वारा भक्तों को प्रदान की जाने वाली शांति, साहस, और कृपा को उजागर करती है। इस आरती के शब्द भक्तों को आत्मिक शांति देते हैं और उनका मनोबल बढ़ाते हैं।

आरती के कुछ प्रमुख अंश निम्नलिखित हैं:

“जय मां चंद्रघंटा सुख धाम,
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती,
चंद्र तेज किरणों में समाती।”

इस आरती के माध्यम से भक्त माँ से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं। माँ चंद्रघंटा अपने भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि लाती हैं और उन्हें हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति दिलाती हैं।

माँ चंद्रघंटा का स्वरूप और प्रतीक

माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र है, जो उनके शांत और सौम्य स्वभाव का प्रतीक है। उनके दस हाथों में विभिन्न अस्त्र हैं, जो यह दर्शाते हैं कि वे अपने भक्तों की हर प्रकार से रक्षा करने के लिए सन्नद्ध हैं। उनका वाहन सिंह, साहस और शक्ति का प्रतीक है, और यह दर्शाता है कि माँ चंद्रघंटा सभी बुराइयों और असुरों का नाश करने में सक्षम हैं।

उनका यह रूप दिखाता है कि शक्ति और शांति एक साथ कैसे विद्यमान हो सकते हैं। जहाँ एक ओर वे शांत और करुणामयी हैं, वहीं दूसरी ओर वे बुराई के खिलाफ खड़े होने का साहस भी रखती हैं।

माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व

माँ चंद्रघंटा की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। यह दिन साहस, शांति और आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। भक्तजन माँ चंद्रघंटा की पूजा करते हुए अपने जीवन में संतुलन, शांति, और बुराइयों के नाश की प्रार्थना करते हैं।

माँ चंद्रघंटा की आराधना से व्यक्ति के भीतर की नकारात्मकता समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो भक्त पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ माँ की पूजा करते हैं, उन्हें माँ की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

श्लोक का महत्व

माँ चंद्रघंटा के श्लोक में कहा गया है:

“या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥”

इस श्लोक में भक्त माँ चंद्रघंटा को बार-बार नमन करते हैं और उनसे आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह श्लोक बताता है कि देवी चंद्रघंटा सभी प्राणियों में विराजमान हैं और उनकी पूजा से पूरे संसार में शांति और संतुलन बना रहता है।

माँ चंद्रघंटा की कृपा और आशीर्वाद

माँ चंद्रघंटा की कृपा से व्यक्ति के जीवन में शांति और संतुलन आता है। वे क्रोध, घबराहट, और डर को शांत करती हैं और अपने भक्तों को जीवन के हर संघर्ष में साहस प्रदान करती हैं। माँ की आराधना से भक्तों के मन में विनम्रता और सौम्यता आती है, और वे हर संकट में धैर्य से काम लेते हैं।

अतः, माँ चंद्रघंटा की आरती और पूजा न केवल आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस और शक्ति भी प्रदान करती है।

माँ चंद्रघंटा की आरती

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