अच्छी चुड़ैल की कहानी: दूसरा अध्याय

खोए रास्ते और पुराने निशान

पहले अध्याय में विक्रम और चुड़ैल की मुलाकात ने एक नई दिशा पकड़ी। विक्रम ने चुड़ैल से वादा किया था कि वह उसकी खोई हुई संतान को ढूंढने में मदद करेगा। अंधेरा घना हो चुका था, लेकिन चुड़ैल की रहस्यमयी शक्ति ने उन्हें डरने से बचाया। अब उनकी खोज शुरू हो चुकी थी।

विक्रम और चुड़ैल जंगल के गहरे हिस्से की ओर बढ़ रहे थे। हवा में ठंडक थी, लेकिन चुड़ैल के साथ होने से विक्रम को किसी भी तरह का डर महसूस नहीं हो रहा था। वे पेड़ों के बीच चल रहे थे, जब विक्रम ने देखा कि ज़मीन पर कुछ अजीब निशान थे।

“ये क्या है?” विक्रम ने नीचे झुककर पूछा।

चुड़ैल ने गहरी नज़र से निशानों को देखा। “ये मेरे बच्चे के पैरों के निशान हैं। वो इन्हीं रास्तों पर खेला करता था।”

विक्रम ने आश्चर्य से देखा। “क्या इतने सालों बाद भी ये निशान यहाँ हैं?”

चुड़ैल ने उदासी से कहा, “वक्त के साथ बहुत कुछ मिट गया, लेकिन कुछ चीज़ें हमेशा यादों में बसी रहती हैं। ये निशान उन्हीं यादों का हिस्सा हैं। अब वो अदृश्य है, पर मैं उन्हें देख सकती हूँ।”

जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, निशान और गहरे होते गए। पेड़ों की छांव में एक रहस्यमयी जगह दिखाई दी, जहाँ एक पुराना झूला पेड़ की शाखाओं से बंधा था। वह जगह अजीब सी शांति और उदासी में डूबी थी।

चुड़ैल ने झूले की ओर इशारा किया, “यहीं मेरा बच्चा खेलता था। ये उसका सबसे पसंदीदा स्थान था।” उसकी आवाज़ में दर्द साफ सुनाई दे रहा था।

तभी, झाड़ियों से कुछ आवाज़ आई। विक्रम ने चौकन्ना होकर उधर देखा। झाड़ियों के पीछे हलचल थी, जैसे कोई उनकी ओर देख रहा हो। “वहाँ कुछ है!” विक्रम ने चुड़ैल को बताया।

चुड़ैल ने भी ध्यान से देखा। “चलो, देखते हैं।” वे दोनों धीरे-धीरे उस ओर बढ़े। जैसे ही वे पास पहुंचे, एक छोटा सा भूरा खरगोश झाड़ियों से कूदकर बाहर आया और तेजी से भाग गया। विक्रम ने राहत की सांस ली, लेकिन उसकी नजर वहीं ठहर गई।

वहां ज़मीन पर एक पुराना खिलौना पड़ा था। यह एक लकड़ी का घोड़ा था, जिसका रंग अब मिट चुका था। विक्रम ने उसे उठाया और चुड़ैल की ओर देखा।

“ये… ये मेरे बच्चे का खिलौना है,” चुड़ैल ने धीमी आवाज़ में कहा, उसकी आँखों में आंसू आ गए। “वह इसे हमेशा अपने साथ रखता था। पर जब वह खो गया, तब से ये यहीं पड़ा रहा।”

विक्रम ने महसूस किया कि उनके सामने उस रहस्य की परतें खुल रही थीं, जो सालों से दबी हुई थीं। उन्होंने तय किया कि इस जंगल में जो कुछ भी हो रहा है, वह सामान्य नहीं है। शायद चुड़ैल का बच्चा सिर्फ खोया नहीं था, बल्कि कुछ अजीब ताकतों ने उसे इस जंगल में फंसा रखा था।

“हमें और आगे जाना होगा,” चुड़ैल ने दृढ़ता से कहा। “यह जंगल सिर्फ पेड़ों का घर नहीं है। इसमें और भी बहुत कुछ छिपा है, जिसे हमें खोजने की जरूरत है।”

विक्रम ने सिर हिलाया और दोनों ने अपने सफर को जारी रखा। जंगल के हर कोने में रहस्य, दर्द और उम्मीद के ताने-बाने थे। लेकिन अब उनके पास वो एक कड़ी थी—वह लकड़ी का घोड़ा, जो शायद उन्हें उनके मंजिल तक पहुंचाने का संकेत था।


अगले अध्याय में

क्या विक्रम और चुड़ैल को और सुराग मिलेंगे? क्या वे उस अनदेखी ताकत का सामना कर पाएंगे जिसने चुड़ैल के बच्चे को छीन लिया था? और विक्रम की स्कूल ट्रिप का क्या होगा? इन सभी सवालों के जवाब अगले अध्याय में मिलेंगे।

(अगले एपिसोड के लिए जुड़े रहें)

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