अच्छी चुड़ैल की कहानी: तीसरा अध्याय

जंगल का रहस्य

लकड़ी का घोड़ा अब विक्रम और चुड़ैल के लिए एक महत्वपूर्ण सुराग बन चुका था। जंगल के हर कोने में रहस्य छिपे थे, और अब उन्हें यह महसूस हो रहा था कि इस यात्रा में कुछ अदृश्य शक्तियाँ भी शामिल हैं। चुड़ैल ने घोड़े को हाथ में पकड़ा और गहरी सांस ली, जैसे कि वह पुराने दिनों को याद कर रही हो।

“हम और गहरे जंगल में जाएंगे,” चुड़ैल ने दृढ़ता से कहा। “यह सिर्फ खोने या भटकने की कहानी नहीं है। यहाँ कोई और भी है, जिसने मेरे बच्चे को मुझसे दूर कर दिया था।”

विक्रम ने थोड़ा झिझकते हुए पूछा, “क्या तुम्हारा बच्चा… अब भी जिंदा हो सकता है?”

चुड़ैल ने उसकी आँखों में देखा, “मुझे नहीं पता। लेकिन मेरी ममता मुझे यह विश्वास दिलाती है कि वह कहीं न कहीं है। और जब तक मुझे पूरा यकीन नहीं हो जाता, मैं उसे ढूंढना बंद नहीं करूंगी।”

दोनों ने अपने कदम आगे बढ़ाए। जंगल और घना और रहस्यमयी हो रहा था। चारों ओर ऊंचे-ऊंचे पेड़, घने झाड़ियाँ और अनजान जानवरों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। ऐसा लग रहा था मानो जंगल ने अपने सारे रहस्य उनके सामने छिपा रखे हों।

तभी, अचानक हवा में एक अजीब सी सरसराहट हुई। पेड़ की शाखाएँ अपने आप हिलने लगीं और जंगल की हवा में कुछ भारीपन आ गया। विक्रम ने चौंक कर चारों ओर देखा। यह महसूस होने लगा कि वे अकेले नहीं हैं।

“कौन है यहाँ?” विक्रम ने साहस जुटाकर पुकारा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

चुड़ैल ने ध्यान से हवा को सूंघा और फिर फुसफुसाते हुए कहा, “यह वही है, जो मेरे बच्चे को मुझसे छीनकर ले गया था। यह जंगल एक शापित स्थान है, और इसमें एक प्राचीन बुरी आत्मा का वास है। वह आत्मा बच्चों की मासूमियत को कैद करती है, और यही मेरे बच्चे के साथ हुआ था।”

विक्रम को डर की ठंडक महसूस होने लगी। “तो हम अब क्या करेंगे?”

चुड़ैल ने विक्रम की ओर देखा और कहा, “हमें उसकी छाया का सामना करना होगा। पर उससे लड़ना आसान नहीं होगा। वह आत्मा इस जंगल का हिस्सा है। अगर हम इसे रोक नहीं पाए, तो यह तुम्हें भी कैद कर लेगा।”

तभी अचानक, जंगल के बीचों-बीच एक पुरानी, टूटी-फूटी झोपड़ी दिखाई दी। झोपड़ी बेहद पुरानी लग रही थी, मानो सालों से उसे किसी ने नहीं देखा हो। उसकी दीवारों पर काई जमी हुई थी, और खिड़कियाँ टूटी हुई थीं। लेकिन उस झोपड़ी से एक अजीब सी रोशनी आ रही थी, जैसे कि वहाँ कुछ जीवित हो।

“यह वही जगह है,” चुड़ैल ने कहा। “यहीं वह आत्मा निवास करती है। और शायद यहाँ ही मेरे बच्चे का जवाब छिपा है।”

विक्रम ने झोपड़ी की ओर देखा। उसे अपनी हिम्मत इकट्ठी करनी पड़ी, लेकिन वह जानता था कि यह सफर अभी खत्म नहीं हुआ था। वे दोनों झोपड़ी की ओर बढ़े। जैसे ही उन्होंने दरवाजे को छुआ, वह खुद-ब-खुद खुल गया।

अंदर का दृश्य बेहद डरावना था। वहाँ पुराने खिलौने बिखरे पड़े थे, और दीवारों पर बच्चों की मासूम हंसी की आवाजें गूंज रही थीं। विक्रम ने देखा कि कमरे के बीचों-बीच एक काले धुएं की आकृति थी, जो धीरे-धीरे आकार ले रही थी। यह वही प्राचीन बुरी आत्मा थी।

चुड़ैल ने विक्रम का हाथ पकड़ा और धीमी आवाज़ में कहा, “डरना मत। इस आत्मा को उसकी ताकत से नहीं, बल्कि उसकी कमजोरी से हराया जा सकता है।”

आत्मा ने विक्रम की ओर देखा और हँसी, “तुम भी मुझसे लड़ने आए हो? मैंने इस जंगल के हर बच्चे को अपने कैद में लिया है, और अब तुम भी मेरी कैद में रहोगे।”

चुड़ैल ने आत्मा की ओर देखते हुए कहा, “तुम्हारी कैद में सिर्फ शरीर होते हैं, आत्माएँ नहीं। और मैं अपने बच्चे की आत्मा को आज़ाद करने आई हूँ।”

आत्मा ने गरजते हुए कहा, “तुम्हारा बच्चा अब मेरा है!”

अब अगली चुनौती यह थी कि वे आत्मा से कैसे मुकाबला करेंगे। क्या विक्रम और चुड़ैल उस आत्मा की कैद से उसके बच्चे को छुड़ा पाएंगे?


अगले अध्याय में

विक्रम और चुड़ैल का सामना आत्मा से होगा। क्या वे उसे हरा पाएंगे और चुड़ैल के बच्चे को आज़ाद कर पाएंगे? रहस्य और गहराएगा, और खतरनाक मोड़ आएगा।

(अगले एपिसोड के लिए जुड़े रहें)

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