अच्छी चुड़ैल की कहानी: चौथा अध्याय

आत्मा का सामना

झोपड़ी के अंदर की अंधेरी हवा में बसी वह प्राचीन आत्मा अब पूरी तरह से आकार ले चुकी थी। उसके काले धुएं से बना शरीर विक्रम और चुड़ैल के चारों ओर फैलने लगा। झोपड़ी के पुराने खिलौनों की हंसी और बच्चों की धुंधली आवाजें अब और तेज़ हो गईं, जिससे माहौल और डरावना हो गया।

चुड़ैल ने विक्रम का हाथ मजबूती से पकड़ा और उसे शांत रहने का इशारा किया। आत्मा ने अपने काले, भयानक स्वर में कहा, “यह जंगल मेरा है। जो कोई यहाँ आता है, वह कभी वापस नहीं जाता। तुम्हारे जैसे कई आए और मेरी कैद में फंस गए।”

विक्रम ने डरते हुए चारों ओर देखा। उसके मन में सवाल उठने लगे—क्या वे इस आत्मा से लड़ सकते हैं? चुड़ैल की ममता जितनी मजबूत थी, आत्मा का घृणास्पद प्रभाव उतना ही खतरनाक लग रहा था।

चुड़ैल ने आत्मा की आँखों में सीधे देखा और जोर से कहा, “मैं जानती हूँ कि तुमने मेरे बच्चे को कैद कर रखा है, लेकिन अब समय आ गया है कि तुम उसे आज़ाद करो। कोई माँ अपनी संतान को हमेशा के लिए नहीं खो सकती।”

आत्मा ने जोर से हँसते हुए कहा, “तुम्हारा बच्चा अब मेरी कैद में है। उसकी आत्मा मेरी ताकत का हिस्सा बन चुकी है। तुम उसे मुझसे नहीं छीन सकती।”

चुड़ैल ने विक्रम की ओर देखा और फुसफुसाते हुए कहा, “यह आत्मा दर्द से बनी है, विक्रम। इसे डराने से या शक्ति से हराया नहीं जा सकता। हमें इसे इसके दर्द के साथ सामना कराना होगा। तभी हम इसे कमजोर कर सकते हैं।”

विक्रम ने पूछा, “तो हमें क्या करना होगा?”

चुड़ैल ने गहरी सांस ली और आत्मा की ओर बढ़ी। उसने अपने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा, “तुम्हें अपने अतीत का सामना करना होगा। तुम जिस पीड़ा में फंसी हो, उसे आज़ाद करो। इसी पीड़ा ने तुम्हें ऐसा बनाया है।”

आत्मा ने गुस्से में अपने काले धुएं से चुड़ैल की ओर हमला किया, लेकिन चुड़ैल पीछे नहीं हटी। उसने फिर से कहा, “तुम भी किसी की माँ थी, तुम्हारा बच्चा भी था। उस पीड़ा ने तुम्हें इस रूप में बदल दिया। लेकिन अब समय है खुद को मुक्त करने का।”

विक्रम ने देखा कि आत्मा के चेहरे पर थोड़ी दुविधा आई। उसका काला धुआं अब हल्का पड़ने लगा। आत्मा ने धीरे से कहा, “मुझे मेरा बच्चा खोने का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस जंगल ने मुझसे उसे छीन लिया, और तब से मैं यहाँ फंसी हुई हूँ, कैद होकर। इसलिए मैंने इस जंगल में आने वाले हर बच्चे को अपनी कैद में रखा, ताकि कोई और माँ मुझसे नफरत न करे।”

चुड़ैल ने करुणा से कहा, “तुम्हारे बच्चे की आत्मा को मुक्त करने से ही तुम्हें शांति मिलेगी। अपने बच्चे को पकड़कर रखना उसकी और तुम्हारी आत्मा के लिए दुखद है।”

आत्मा की आँखों से आँसू गिरने लगे, और उसके चारों ओर फैला काला धुआं धीरे-धीरे खत्म होने लगा। “मैंने उसे इस जंगल में बहुत समय से कैद रखा है… पर अब मैं थक गई हूँ। मैं उसे आज़ाद करना चाहती हूँ, लेकिन मैं नहीं जानती कैसे।”

विक्रम ने धीरे से कहा, “हम तुम्हारी मदद करेंगे।”

चुड़ैल ने आत्मा की ओर हाथ बढ़ाया और कहा, “अपने बच्चे की यादों को आज़ाद करो। उसे इस दर्द से मुक्त करो। तभी तुम दोनों को शांति मिलेगी।”

आत्मा ने एक गहरी सांस ली और अपने हाथ आकाश की ओर उठाए। झोपड़ी के अंदर एक हल्की रोशनी फैलने लगी, और धीरे-धीरे एक छोटा, प्यारा बच्चा उस प्रकाश में प्रकट हुआ। उसकी मासूम हंसी गूंज उठी, और आत्मा की आँखों में शांति और प्रेम झलकने लगे।

“यह मेरा बेटा है,” आत्मा ने धीमे स्वर में कहा। “मैं उसे मुक्त करती हूँ।”

जैसे ही उसने यह कहा, आत्मा का काला धुआं पूरी तरह से छट गया, और बच्चे की आत्मा एक सुनहरे प्रकाश में बदलकर आकाश की ओर उड़ गई। अब झोपड़ी पूरी तरह से शांत हो चुकी थी।

चुड़ैल की आँखों में आँसू थे। “तुमने सही किया,” उसने आत्मा से कहा। “तुमने उसे शांति दी।”

आत्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुमने मुझे यह सिखाया। अब मैं भी मुक्त हो रही हूँ। तुम्हें धन्यवाद।”

इसके साथ ही आत्मा भी धीरे-धीरे प्रकाश में बदलकर गायब हो गई। जंगल की हवाएं अब हल्की हो चुकी थीं, और माहौल में एक नई शांति और सुकून था।

विक्रम ने राहत की सांस ली और कहा, “क्या अब सब ठीक हो गया?”

चुड़ैल ने मुस्कुराते हुए कहा, “हां, इस जंगल का शाप अब टूट चुका है। आत्माएं अब आज़ाद हो गई हैं।”


अगले अध्याय में

विक्रम की यात्रा अब खत्म होती दिख रही है, लेकिन क्या वह वापस अपने दोस्तों के पास लौट पाएगा? जंगल की शांति अब और क्या रहस्य छिपाए हुए है? यह कहानी और गहराएगी, अगले एपिसोड में।

(अगले एपिसोड के लिए जुड़े रहें)

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