अच्छी चुड़ैल की कहानी: अंतिम अध्याय

वापसी की राह

चुड़ैल और विक्रम ने आत्मा को मुक्त कर दिया था, और जंगल अब पहले से कहीं अधिक शांत लग रहा था। अंधेरे में डूबा जंगल अब हल्की सुनहरी रोशनी में नहाया हुआ था, मानो एक नयी सुबह का स्वागत कर रहा हो। विक्रम की सांसें अब थोड़ी धीमी हो गई थीं, लेकिन उसके मन में एक सवाल रह गया था—क्या वह अब अपने दोस्तों के पास लौट सकेगा?

“अब क्या?” विक्रम ने चुड़ैल से पूछा।

चुड़ैल ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी ओर देखा। “अब समय आ गया है कि तुम अपने दोस्तों के पास लौट जाओ, विक्रम। जंगल का शाप टूट चुका है, और अब यह तुम्हारे लिए सुरक्षित है।”

विक्रम ने राहत की सांस ली। वह जानता था कि उसकी इस अद्भुत यात्रा का अंत करीब आ रहा था। लेकिन उसके मन में एक और सवाल था। “तुम अब क्या करोगी?” उसने चुड़ैल से पूछा।

चुड़ैल ने गहरी सांस ली और आसमान की ओर देखा। “मैंने वर्षों तक अपने बच्चे की आत्मा को ढूंढा और उसे आज़ाद किया। अब मैं भी इस जंगल को छोड़ने के लिए तैयार हूँ। मैं इस दुनिया में और नहीं रहूंगी। मेरी ममता ने मुझे इस जंगल में बाँध रखा था, लेकिन अब मेरा काम पूरा हो चुका है।”

विक्रम ने उदासी से कहा, “क्या मैं फिर कभी तुम्हें देख पाऊंगा?”

चुड़ैल ने उसकी ओर मुस्कुराते हुए कहा, “मुझे नहीं पता। लेकिन याद रखना, ममता कभी खत्म नहीं होती। तुमने मुझे एक नया जीवन दिया है। शायद, किसी दिन जब तुम्हें मेरी सबसे ज्यादा ज़रूरत होगी, मैं फिर से तुम्हारे पास आऊंगी।”

विक्रम की आँखों में आँसू थे, लेकिन वह जानता था कि चुड़ैल को अब शांति मिल गई थी। उसने उसकी मदद की थी, और यह उसकी सबसे बड़ी जीत थी।

“चलो, मैं तुम्हें रास्ता दिखाती हूँ,” चुड़ैल ने कहा।

वह दोनों अब जंगल के किनारे की ओर बढ़ने लगे। रास्ते में, विक्रम ने ध्यान दिया कि वह जगह अब वैसी डरावनी नहीं लग रही थी, जैसे पहले थी। पेड़ अब और हरे-भरे लग रहे थे, पत्तों से छनकर आती धूप ने जंगल में एक नयी ऊर्जा भर दी थी।

कुछ दूर चलते हुए, उन्हें विक्रम के स्कूल ट्रिप के बाकी बच्चों की आवाजें सुनाई देने लगीं। वे सभी अभी भी उसे ढूंढ रहे थे, और उनकी आवाज़ें अब और पास आती जा रही थीं। विक्रम के चेहरे पर खुशी आ गई—वह अब घर लौटने वाला था।

चुड़ैल ने एक पेड़ के नीचे रुकते हुए कहा, “यहां से तुम्हारा रास्ता आसान है। अब तुम्हें अकेले जाना होगा।”

विक्रम ने चुड़ैल की ओर देखा। उसकी आँखों में आभार और दुख दोनों थे। “तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद,” उसने कहा। “मैं कभी नहीं भूलूंगा कि तुमने मेरी जान बचाई और मुझे यह अद्भुत यात्रा दी।”

चुड़ैल ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “तुमने भी मुझे आज़ादी दी है, विक्रम। जाओ, और एक अच्छा इंसान बनो। यही मेरी तुम्हारे लिए आशीर्वाद है।”

विक्रम ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और चुड़ैल को अंतिम बार देखा। फिर वह धीरे-धीरे अपने दोस्तों की ओर बढ़ने लगा। उसके कदम हल्के हो गए थे, और दिल में एक नई ऊर्जा थी।

जब वह पलटा, तो देखा कि चुड़ैल अब वहां नहीं थी। वह हवा में घुल गई थी, मानो वह कभी थी ही नहीं। लेकिन विक्रम जानता था कि उसकी यादें और ममता हमेशा उसके साथ रहेंगी।

विक्रम अपने दोस्तों और शिक्षकों के पास पहुंचा। सबने उसे गले लगाया और उसकी खैरियत पूछी। किसी को भी इस जंगल के भीतर हुई उसकी इस अद्भुत यात्रा का अंदाज़ा नहीं था। लेकिन विक्रम के दिल में वह यादें हमेशा के लिए बसी रहेंगी।


अंतिम संदेश

यह कहानी सिर्फ एक जंगल की यात्रा नहीं थी, बल्कि ममता, दर्द, और आज़ादी की एक अद्भुत कहानी थी। कभी-कभी जिन चीज़ों से हम डरते हैं, वे हमें सबसे बड़ा सबक सिखा सकती हैं। विक्रम ने एक अद्भुत अनुभव प्राप्त किया, और एक माँ ने अपनी खोई हुई ममता को वापस पाया।

(समाप्त)

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